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Tuesday, December 20, 2011

कौवा और केंकड़ा ( लिथ्वानिया की लोक कथा )

एक समय की बात है समुद्र किनारे एक कौवे ने एक केंकड़े को पकड़ लिया. तब केंकड़े ने सोचा की भाई बुरे फंस गए , इसलिए उसने कौवे की प्रशंसा करनी शुरू की
- तुम्हारे पंख कितने सुन्दर हैं, बाकी सभी पक्षियों से सुन्दर
कौवे ने यह सब सुना लेकिन एक शब्द भी नहीं कहा , केंकड़े उसकी तारीफ के पुल बांधता चला गया
- शायद तुम्हारी आवाज़ भी उतनी ही सुन्दर हो ?
कौवा यह सब सुन इतराने लगा लेकिन उसने अपनी चोंच नहीं खोली, केंकड़े ने फिर उसकी तारीफ करनी शुरू की
- वैसे सच कहूं तो तुम्हे सभी पक्षिओं का राजा बना देना चाहिए
इसपर कौवे ने बस इतना कहा
- हाँ बहुत खूब बहुत खूब
बस फिर क्या था , केंकड़ा चोंच से छूट भाग गया और कौवा अपना सा मूंह लेकर खड़ा रह गया.

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