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Tuesday, December 20, 2011

एक पैर वाला कलहंस (लिथ्वानिया की लोककथा)

एक बार की बात है , एक ज़मींदार हुआ करता था. उसका एक बावर्ची था. एक दिन उसने बावर्ची को भुना हुआ कलहंस बनाने को कहा. बावर्ची ने कलहंस भूनकर उसका मांस अपने मालिक को परोसा लेकिन उस कलहंस का एक पैर और जांघ गायब थे.
तब मालिक ने उससे पुछा:
इसका एक पैर और जांघ कहाँ हैं ?
ये इसी प्रकार का कलहंस है – बावर्ची ने अपने आप को बचाने के लिए कहा
ये क्या बात हुई की एक कलहंस के सिर्फ एक पैर और जांघ हो, ये संभव नहीं है
उस समय बात वहीँ समाप्त हुई. लेकिन एक ज़मींदार को किसी समारोह में जाना था तो वह बावर्ची को भी साथ ले गया. रास्ते में एक चरवाहा कल्हंसो को घुमा रहा था , तब वहीँ एक हंस एक पैर पर खड़ा अपनी चोंच से अपने पारो को सहला रहा था, यह देख कर बावर्ची ने झट से कहा :
हुज़ूर देखिये ये कलहंस भी सिर्फ एक पैर पर खड़ा है
ये सुन ज़मींदार हसने लगा और उसने जोर से सीटी बजाये और तभी कलहंस दोनों पैरों पर खड़ा हो गया
तब उसने बावर्ची से कहा:
देख ज़रा क्या इसके दो पैर नहीं है
तब झट से बावर्ची ने जवाब दिया
जब आपने खाया था तब भी आपको सीटी बजानी चाहिए थी , तब अवश्य ही उसका दूसरा पैर बहार आ जाता.

हंगरी भाषा से हिंदी में अनुवादित

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